दुर्ग जिले के आदिम जाति कल्याण विभाग से बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। यहां के अफसर शासन से आदिवासी बच्चों के विकास और उत्थान के लिए आई राशि ही डकार गए हैं। फर्जी बिल, अधीक्षकों के फर्जी सील और हस्ताक्षर से लाखों रुपए निकाल लिए गए हैं। भ्रष्टाचार का यह खेल साल 2019 से 2023 तक चला है।
दरअसल जिले के दुर्ग, धमधा, पाटन ब्लॉक मिलाकर कुल 30 छात्रावास हैं, जहां अनुसूचित जाति/जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राएं रहकर पढ़ाई करते हैं। राज्य सरकार इन छात्रावासों में रहने वाले बच्चों की सुविधा के लिए आकस्मिक व्यय और दवाइयों के लिए विशेष मद पर लाखों रुपए का फंड देती है। दुर्ग जिले के लगभग 30 छात्रावास में साल 2019 से 2023 तक बच्चों के लिए आए दवाइयों और आकस्मिक व्यय के नाम पर फर्जी बिल बनाकर हर महीने लाखों रुपए निकालते रहे। जबकि छात्रावासों में ये सामान पहुंचे ही नहीं। इस फर्जीवाड़ा के लिए हॉस्टल अधीक्षकों के फर्जी सील, यहां तक की साइन का भी इस्तेमाल किया गया। इस संबंध में जिले के अलग-अलग ब्लॉकों को छात्रावास अधीक्षकों से बात की तो उन्होंने संबंधित बिलों को फर्जी बताते हए छात्रावासों में किसी तरह का सामान नहीं आने की बात कही।
जिले के अलग-अलग छात्रावासों में गड़बड़ी के कुछ उदाहरण
प्री मैट्रिक छात्रावास, दुर्ग
प्री मैट्रिक अनुसूचित जाति बालक छात्रावास, दुर्ग में 10 जुलाई 2019 को अनीता अग्रवाल के फर्म के नाम से बिल लगाया गया। जिसमें छात्रावास में उपयोग होने वाली सामग्री टॉयलेट बाल्टी, टॉयलेट मग, फिनाइल सहित अन्य सामान की खरीदी का ब्यौरा था। यह बिल 4950 रुपए का था। यहां के छात्रावास अधीक्षक प्रफुल्ल मानिकपुरी ने बताया कि इस तरह फर्म को न हम जानते हैं न ही इनसे अब तक किसी तरह की खरीदी गई है।
प्री मैट्रिक छात्रावास रसमड़ा
प्री मैट्रिक अनुसूचित जनजाति बालक छात्रावास रसमड़ा में 1 अगस्त 2019 को खरीदी का बिल लगाया गय। यह बिल राजेश मेडिकोज एमपी हाउसिंग बोर्ड भिलाई जिला दुर्ग के नाम का है। इसमें बैंडेज, झंडू बाम, एनर्जी पाउडर सहित अन्य सामान की खरीदी को लेकर 5070 रुपए का बिल बनाया गया। छात्रावास अधीक्षक हेमंत सिन्हा ने बताया कि इन संस्थान से छात्रावास के लिए कोई खरीदी नहीं की गई। इसमें मेरा सील और साइन भी फर्जी है।
प्री मैट्रिक कन्या छात्रावास दुर्ग
प्री मैट्रिक अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास दुर्ग के नाम से 11 अगस्त 2019 को विभाग में फिर एक बिल लगाया गया। इसमें पिछले महीने के बताए फर्म अनिता अग्रवाल, भिलाई के नाम से बिल लगा, जिसमें डामर गोली, प्लास्टिक बाल्टी, झाडू, टॉयलेट मग आदि की खरीदी बताई गई। बिल की राशि 4925 रुपए थी। इसे लेकर छात्रावास अधीक्षक रानू चंद्राकर का कहना है कि इस तरह के फर्म से छात्रावास के लिए कोई खरीदी नहीं की गई है
पोस्ट मैट्रिक बालक छात्रावास दुर्ग
पोस्ट मैट्रिक अनुसूचित जाति बालक छात्रावास दुर्ग में भी खरीदी के नाम पर अनीता अग्रवाल, भिलाई के नाम से 9 सितंबर 2019 को बिल लगाया गया। इसमें फिनाइल, फूल झाडू, जाला झाडू की खरीदी बताते हुए 4750 की राशि का उल्लेख किया गया। यहां 3 मई 2023 को मां ट्रेडर्स, भिलाई के नाम से पुस्तकों की खरीदी का 3405 रुपए का बिल लगाया गया। छात्रावास अधीक्षक मनोज जोशी का कहना है कि इन दोनों फर्मों से कभी खरीदी ही नहीं की गई है।
पोस्ट मैट्रिक कन्या छात्रावास पाटन
पोस्ट मैट्रिक अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास पाटन में भी अनीता अग्रवाल भिलाई के फर्म के नाम से 10 अगस्त 2019 का बिल लगाया गया, जिसमें टॉयलेट बाल्टी, जाला झाडू, फूल झाडू की खरीदी के लिए 4750 रुपए का उल्लेख था। जिसका भुगतान कर दिया गया। छात्रावास अधीक्षिका सरिता वर्मा का कहना है कि हम ऐसे किसी फर्म को नहीं जानते हैं और न ही हमने खरीदी की है। इस बिल में हस्ताक्षर व सील दोनों फर्जी हैं।
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