राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा 5 मार्च को मध्य प्रदेश में थी। राहुल उज्जैन में बाबा महाकाल के दर्शन के बाद नजदीकी जिले शाजापुर में खुली जीप पर सवार होकर निकल रहे थे। तभी रोड किनारे खड़े BJP कार्यकर्ताओं ने मोदी-मोदी के नारे लगाने शुरू कर दिए।
इससे संबंधित वायरल हुए वीडियो में देखा जा सकता है कि नारे सुनकर राहुल गांधी जीप से नीचे उतरे और BJP कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए आगे बढ़े। कुछ कार्यकर्ता राहुल को आलू देते हैं और सोना निकालने के लिए कहते सुनाई दे रहे हैं। राहुल उनसे आलू लेकर हाथ मिलाते हैं और फिर वापस जीप की ओर चले जाते हैं।
इस घटना से राहुल गांधी का 2017 में दिया बयान फिर सुर्खियों में है।
‘आलू से सोना’ वाले जुमले की शुरुआत कहां से हुई?
15 नवंबर 2017 को BJP IT सेल के इंचार्ज अमित मालवीय अपने एक्स (तब ट्विटर) अकाउंट से एक वीडियो शेयर करते हैं। वीडियो में राहुल ये कहते सुने जा सकते हैं कि, ‘ऐसी मशीन लगाऊंगा कि इस साइड से आलू घुसेगा, उस साइड से सोना निकलेगा। इस साइड से आलू डालो, उस साइड से सोना निकालो। इतना पैसा बनेगा कि आपको पता नहीं होगा क्या करना है पैसे का।’
इस वीडियो के साथ अमित मालवीय अंग्रेजी में एक वाक्य लिखते हैं, जिसका हिंदी में मतलब है कि, ‘लोग मुझे ये भेजकर अविश्वास से पूछ रहे हैं कि क्या उन्होंने (राहुल गांधी) सच में ऐसा कहा। बेशक, उन्होंने ऐसा कहा था!
ये वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने लगा। राहुल गांधी पर तमाम तरह के मीम बने और लोग उनका मजाक उड़ाने लगे। कोई कहता, 'राहुल गांधी भारत के सबसे बड़े स्टैंडअप कॉमेडियन हैं।' तो कोई एडिटेड फोटो शेयर करके मजाक उड़ाता।
राहुल गांधी का मजाक उड़ाते हुए कई मीम्स सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे।
प्रधानमंत्री मोदी भी अपनी रैलियों में इसका जिक्र करके चुटकी लेते थे। लोकसभा चुनाव 2019 के वक्त उत्तर प्रदेश के कन्नौज की रैली में मोदी तंज कसते हैं कि, ‘ऐसे बुद्धिमान, ऐसे तेजस्वी लोग हैं जो आलू से सोना बनाते हैं। वो काम हम नहीं कर सकते। भाई माफ करना। मैं आलू से सोना नहीं बना सकता, न मेरी पार्टी बना सकती है।’
7 साल बाद भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान भी BJP कार्यकर्ता आलू देकर राहुल गांधी का मजाक बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या राहुल गांधी ने सच में आलू से सोना बनाने वाली मशीन की बात कही?
पूरा मामला 2017 के गुजरात चुनाव से जुड़ा हुआ है। राहुल गांधी 13 नवंबर को अहमदाबाद के नजदीक पाटन में एक रैली करते हैं। जिले के प्रगति मैदान में हुई इस रैली में राहुल करीब 24 मिनट तक भाषण देते हैं।
इसी भाषण के एक हिस्से में वो कहते हैं कि, ‘आलू के किसानों को कहा कि ऐसी मशीन लगाऊंगा कि इस साइड से आलू घुसेगा उस साइड से सोना निकलेगा। इस साइड से आलू डालो, उस साइड से सोना निकालो। इतना पैसा बनेगा कि आपको पता नहीं होगा कि क्या करना है पैसे का। ये मेरे शब्द नहीं है, नरेंद्र मोदी जी के शब्द हैं।’
ऊपर के बयान से साफ है कि राहुल गांधी ने आलू से सोना बनाने की मशीन की बात जरूर कही, लेकिन इसे नरेंद्र मोदी के शब्द बताया था। हालांकि, उन्होंने ये नहीं बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने ये वादा कब और कहां किया था। बयान से 'ये मेरे शब्द नहीं है, नरेंद्र मोदी जी के शब्द हैं’ वाक्य को एडिट कर दिया गया और सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
राहुल गांधी के भाषण का पूरा वीडियो, जिसमें वो एक संदर्भ में आलू से सोना बनाने की मशीन की बात बोल रहे हैं...
बयान के आगे-पीछे का हिस्सा हटाकर सिर्फ कुछ सेकेंड का वीडियो सोशल मीडिया पर चला दिया गया। यह वीडियो राहुल के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर अब भी मौजूद है।
लगातार कोशिशें राहुल की इमेज पर बड़ा डेंट
आलू से जुड़ा राहुल का एक और बयान खूब वायरल हुआ था। बयान में राहुल ‘आलू की फैक्ट्री’ लगाने की बात करते हैं। इस बयान को ये कहकर प्रसारित किया गया कि राहुल के ये तक नहीं पता कि आलू खेतों में उगता है, फैक्ट्री में नहीं। दरअसल उत्तर प्रदेश के किसानों से बात करते वक्त एक किसान क्षेत्र में आलू चिप्स की फैक्ट्री लगाने के लिए कहता है। इसी संदर्भ में राहुल कुछ बात करते हैं और उसके एक हिस्से को काटकर प्रोपेगैंडा के रूप में चला दिया जाता है।
इसी तरह साल 2013 में बयान वायरल होता है कि राहुल का मानना है ‘गरीबी एक मानसिक स्थिति है।’ इस पर दलित रिसोर्स सेंटर, प्रयागराज (जहां ये बयान दिया था) ने स्पष्टीकरण जारी किया कि, ‘राहुल ने अपने बयान में कहा कि गरीबी में दो तत्व शामिल हैं एक विचार की गरीबी और दूसरा भौतिक गरीबी यानी भोजन, रुपए आदि की कमी।’
'ब्रांड राहुल' पर BBC की एक रिपोर्ट में कांग्रेस नेता तारिक अनवर आरोप लगाते हैं कि साल 2012-13 से ही BJP से जुड़े एक पूरे सिस्टम का मिशन राहुल गांधी की छवि खराब करना रहा है। राहुल की एक खास तरह की इमेज बनाने में वो काफी हद तक सफल भी हुए हैं। हालांकि, उनकी जो इमेज बनाई गई, वो सच्ची नहीं है।
रिपोर्ट में एक ऐटवरटाइजिंग एक्सपर्ट्स के हवाले से लिखा है कि राहुल गांधी की इमेज बिगाड़ने में विरोधियों ने 8-10 साल का समय लगाया। वो लगातार इसी काम में लगे रहे। इसका मतलब राहुल गांधी उनके लिए एक खतरा महसूस होते हैं।

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