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बेमेतरा के पूर्व श्रम पदाधिकारी ने किया फर्जीवाड़ा

श्रम विभाग की हितग्राही मूलक योजनाओं में गड़बड़ी करने के मामले में श्रम विभाग में कार्यरत प्लेसमेंट कर्मचारी को लौटाया गया है। वर्तमान श्रम पदाधिकारी ने श्रमिकों के आवास निर्माण के लिए दिए जाने वाले अनुदान को प्रदान करने वाली योजनाओं में हुई गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई के लिए उच्चाधिकारियों को प्रतिवेदन भेजा है। शिकायत करने वाली पार्षद नीतू कोठारी ने विभागीय कार्रवाई को नाकाफी बताया और कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।

श्रम पदाधिकारी कार्यालय में श्रम कल्याण निरीक्षक पद पर प्लेसमेंट कर्मचारी छलेश्वर साहू को लेकर सक्षम अधिकारी के समक्ष की गई शिकायत में आरोप लगाया गया कि विभागीय योजनाओं के लाभान्वित अभ्यर्थियों को गलत प्रमाण-पत्र जारी कर शासन को आर्थिक हानि पहुंचाई गई है।

शिकायत के बाद एक टीम का गठन किया गया था। टीम द्वारा की गई जांच में श्रम कल्याण निरीक्षक द्वारा रजिस्टर्ड ट्रेड यूनियन के नियुक्ति प्रमाण-पत्रों का दुरुपयोग करते हुए पात्र हितग्राहियों को योजनाओं का लाभ नहीं मिलने दिया जाना पाया गया था। जांच में शिकायतों की पुष्टि होने पर अपर कलेक्टर द्वारा छलेश्वर साहू की सेवाएं तत्काल प्रभाव से मूल प्लेसमेंट को लौटाने का आदेश जारी किया गया है।

एक और गड़बड़ी, 29 आवास के मामले सामने आए

जिले में पदस्थ रहे पूर्व श्रम पदाधिकारी पर मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक आवास सहायता योजना में शासकीय नियमों की अनदेखी कर अपात्र व्यक्तियों को अनुचित लाभ देने की गंभीर शिकायत वार्ड 11 की पार्षद नीति कोठारी द्वारा गई थी। शिकायत के आधार पर श्रम विभाग द्वारा जांच की गई, जिसमें प्रथम दृष्टया आरोपों की पुष्टि हुई है। इसके बाद श्रम पदाधिकारी कार्यालय द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन और दस्तावेजों के साथ श्रमायुक्त को श्रमपदाधिकारी कार्यालय द्वारा भेजा गया है।

जमीन नहीं, पर आवास योजना का लाभ दिया

विभाग के अनुसार भवन व अन्य निर्माण श्रमिकों को मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक आवास सहायता योजना के तहत स्वयं की जमीन पर घर बनाने या नया घर खरीदने पर 1 लाख का वित्तीय अनुदान दिया जाता है। शिकायत की जांच में पाया गया कि पूर्व श्रम पदाधिकारी द्वारा कई अपात्र व्यक्तियों को योजना का लाभदिया गया। रिपोर्ट में ऐसे 29 आवेदन चिन्हित हैं, जिन्हें बिना नियमों के पालन के स्वीकृति दी गई। इनमें से कई मामलों में आवेदकों के नाम पर जमीन नहीं थी या वे संयुक्त खाताधारक थे अथवा ग्राम पंचायत से आवश्यक अनुमोदन प्राप्त नहीं किया गया था।
इसके बावजूद उन्हें भी लाभ दिया गया। जांच में यह भी सामने आया है कि कुछ लाभार्थियों को योजना के तहत प्रारंभिक 50 हजार रुपए प्राप्त होने के बावजूद शेष राशि के लिए गलत तरीके से पुनः आवेदन स्वीकार कर लिया गया। दस्तावेजों की छानबीन से यह भी ज्ञात हुआ कि जिन प्रकरणों को पहले निरस्त किया गया था, उन्हें भी पुनः स्वीकृत किया गया।

जरूरतमंद को नहीं मिला लाभ

शिकायत के बाद सामने आई रिपोर्ट के अनुसार पूर्व में पदस्थ रहे श्रम पदाधिकारी ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए योजना में गड़बड़ी की, जिससे शासन को वित्तीय क्षति हुई और वास्तविक पात्र हितग्राही योजना से वंचित रह गए। कुछ लाभार्थियों द्वारा व्यक्तिगत रूप से भी यह स्वीकार किया गया कि उन्होंने बिना पात्रता के लाभ लिया।

मामला गंभीर है इसलिए श्रम आयुक्त को भेजा गया

राज्य शासन द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित दस्तावेजों, शिकायतों और जांच रिपोर्ट के आधार पर पूर्व पदाधिकारी पर विरुद्ध अनुशासनात्मक और विभागीय कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। चूंकि मामला शासकीय धन के दुरुपयोग और जनहित से जुड़ा हुआ है। अतः शासन स्तर पर कठोर कार्रवाई के लिए प्रकरण श्रम आयुक्त को भेजे जाने की जानकारी शिकायकर्ता को विभागीय अधिकारी द्वारा दी गई है।

कर्मचारी को लौटाया गया है श्रम पदाधिकारी

वर्तमान श्रम पदाधिकारी सोयब काजी ने बाताया कि कर्मचारी को प्लेंसमेंट कंपनी को लौटा दिया गया है। साथ ही पूर्व श्रम पदाधिकारी के कार्यकाल का मामला है इसलिए आयुक्त को प्रकरण भेजा गया है।


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