बरही गांव के पास, निजी रिसोर्ट है और दूसरा तांदुला डैम के पास। इसे पिछली सरकार के समय शासन ने ही बनाकर भिलाई की एक बड़ी कंपनी को कांट्रेक्ट पर दे दिया है। प्रदेश में इस तरह बांधों के आसपास, बैकवॉटर (उलट) क्षेत्र और यहां तक कि बांध के अंदर तक करीब 15 ऐसे प्रोजेक्ट हैं जो शुरू हैं या शुरू होने वाले हैं या जिनका काम रुका हुआ है। पर्यावरण विशेषज्ञ इसे बेहद खतरनाक और बांधों के अस्तित्व पर खतरा बता रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में बांध के भराव क्षेत्र में ही रिसॉर्ट बन रहे हैं। दरअसल, छत्तीसगढ़ में बढ़ते पर्यटन के चलते सरकार के साथ रियल स्टेट व्यापार से जुड़े लोगों और कारोबारियों ने जंगल के भीतर, नदियों-तालाबों, बांधों के किनारे पांच सितारा रिसॉर्ट बना लिए हैं। इनमें से कुछ जरूरी में मंजूरी ली गई, जबकि कुछ रिसोर्ट मनमाने तरीके से बनाए गए हैं।
ऐसे लोग लेक व्यू नाम रखने के लिए बांधों के वेट लैंड पर कब्जा कर रहे हैं। बरही के पास बने रिसॉर्ट ने बांध की सूखी जमीन को ओपन रेस्टोरेंट का रूप का दे दिया है। यहां झूलों और बैठने की स्थाई सुविधा बना दी गई है। एक वॉटर फिल्टर प्लांट का निर्माण भी किया गया है, ताकि स्वीमिंग पूल और दूसरी जरूरतों के लिए पानी फिल्टर किया जा सके। इस संबंध में रिसोर्ट के मैनेजर ने कहा कि हमने अपनी जमीन पर निर्माण किया है।
तांदुला डैम रिसोर्ट तो इससे भी आगे हैं। यह रिसोर्ट तो तकरीबन बांध के बीच में ही बना लगता है। इस रिसोर्ट के साथ बांध के भराव क्षेत्र में ही वॉटर पार्क भी स्थापित कर दिया गया है। यहां सरकार ने कॉटेज बनवाकर निजी कंपनी को संचालन के लिए दे दिया है। अब कंपनी बांध एरिया में मनचाहा निर्माण करा रही है। कंपनी ने बांध में वॉटर स्पोर्ट, बोटिंग भी शुरू करने की तैयारी कर ली है। पिछली सरकार के समय इसी तरह बिलासपुर जिले के खूंटाघाट डैम के अंदर स्थित टापू पर कॉटेज, ग्लास हाउस बनवाना शुरू कर दिया गया था। फिलहाल इस पर रोक है।
इस तरह के प्रदेश में कई स्थानों पर वॉटर बॉडी के पास या भीतर रिसोर्ट बनाने की अनुमति या तो निजी लोगों को दी गई थी या फिर सरकार ने इन्हें बनाकर निजी लोगों को किराए पर या लीज पर दे दिया था। इसमें कोरबा के बूका, सतरेंगा, महासमुंद के कोडार, बिलासपुर के खूंटाघाट, कोटा, धमतरी, बालोद, रायगढ़ के केलो, नवा रायपुर के आसपास ऐसे रिसोर्ट की अनुमति दी गई। इनमें से कुछ पूरे बने, कुछ बन रहे हैं तो कुछ का काम सरकार बदलने के बाद रुक गया।
तांदुला डैम रिसोर्ट तो इससे दो कदम आगे है। यह रिसोर्ट बांध के बीच में ही बना दिखाई दे रहा है। इस रिसोर्ट के साथ बांध के भराव क्षेत्र में ही वॉटर पार्क भी बना दिया गया है। यहां सरकार ने कॉटेज बनवाकर निजी कंपनी को संचालन के लिए दे दिया है। अब कंपनी बांध एरिया में मनचाहा निर्माण करा रही है। कंपनी ने बांध में वॉटर स्पोर्ट, बोटिंग भी शुरू करने की तैयारी कर ली है। पिछली सरकार के समय इसी तरह बिलासपुर जिले के खूंटाघाट डैम के अंदर स्थित टापू पर कॉटेज, ग्लास हाउस बनवाना शुरू कर दिया गया था।
फिलहाल इस पर रोक है। प्रदेश में कई स्थानों पर इस तरह से वॉटर बॉडी के पास या उसके अंदर रिसोर्ट बनाने की अनुमति या तो निजी लोगों को दी गई थी या फिर सरकार ने इन्हें बनाकर निजी लोगों को लीज पर दे दिया था। इसमें कोरबा के बूका, सतरेंगा, महासमुंद के कोडार, बिलासपुर के खूंटाघाट, कोटा, धमतरी, बालोद, नवा रायपुर के आसपास ऐसे रिसोर्ट शामिल हैं।
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