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शराब कंपनियों ने नकली होलोग्राम वाला दारू सप्लाई करके अरबो रुपए के जीएसटी नुकसान भी किया

छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला केस में ED कोर्ट ने सोमवार को अनवर ढेबर की अर्जी को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने शराब निर्माता कंपनियों समेत 8 लोगों को आरोपी बनाया है और समन जारी किया है। इनमें मैन पावर सप्लायर सिद्धार्थ सिंघानिया, 3 शराब निर्माता कंपनी और शराब कारोबार से जुड़ी कंपनियों को कोर्ट ने तलब किया है।

जेल में बंद अनवर ढेबर ने धारा 190 सीआरपीसी के तहत विशेष न्यायालय में आवेदन किया था। लंबी बहस के बाद कोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया है। वहीं शराब घोटाला केस में अब शराब निर्माता कंपनियों की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं। 28 फरवरी को ED कोर्ट में सुनवाई होगी। 

आबकारी विभाग के अधिकारियों के खिलाफ भी होगी कार्रवाई

ED कोर्ट ने अपने ऑर्डर में लिखा है कि आबकारी विभाग के अधिकारियों के खिलाफ प्रॉसिक्यूशन सेंक्शन अभी नहीं आया है। इसलिए जब प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट सेंक्शन हो जाएगी, तब उनके खिलाफ भी जांच की जाएगी। आबकारी विभाग के अधिकारियों के खिलाफ भी ED कोर्ट से समन जारी हो सकता है।

EOW कोर्ट में 10 मार्च को होगी सुनवाई

ED कोर्ट के अलावा अनवर ने EOW कोर्ट में भी शराब निर्माता कंपनियों समेत 8 लोगों को आरोपी बनाने के लिए आवेदन लगाया है। सोमवार को इस मामले में सुनवाई टल गई है। अगली सुनवाई 10 मार्च को होगी

अब जानिए क्या है पूरा मामला ?

दरअसल, शराब घोटाला केस में अनवर ढेबर ने शराब कंपनियों को भी आरोपी बनाने की मांग की थी। उनका कहना था कि, ED ने खुद कहा है कि, शराब निर्माताओं ने 1200 करोड़ कमाए तो फिर ED उन्हें क्यों बचा रही है?

3 शराब डिस्टलरी को आरोपी बनाने का आवेदन कोर्ट ने स्वीकार भी कर लिया है। इस आवेदन में भाटिया वाइन एंड मर्चेट प्राइवेट लिमिटेड, छत्तीसगढ़ डिस्टलरीज और वेलकम डिस्टलरीज फर्म और उनके मालिक के साथ अन्य लोगों को आरोपी बनाने की मांग है।

शराब निर्माता कंपनी ने 1200 करोड़ कमाए

छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले मामले में ED ने अपनी चार्टशीट में बताया था कि घोटाले में 1200 करोड़ रुपए की राशि शराब निर्माण कंपनियों ने कमाए हैं। अनवर ढेबर के वकील अमीन खान ने कहा था कि, ED की ओर से यह दलील पेश की जाती है कि शराब निर्माता कंपनियों की डिस्टलरी दबाव में काम कर रही थी।

अगर ऐसा है तो उन्होंने इतने सालों में इसकी कहीं भी शिकायत क्यों नहीं दी? अगर डिस्टलरी पर दबाव बनाया गया है तो उसकी भी जानकारी देनी चाहिए। अमीन खान ने कहा कि, आखिर ED शराब निर्माता कंपनियों को क्यों बचाना चाहती है?

नकली शराब बनाने से लेकर नकली होलोग्राम लगाने तक

छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले में शराब निर्माता कंपनियों में नकली शराब बनाने से लेकर, फर्जी होलोग्राम लगाने का काम किया जाता था। वहीं प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फ़िल्म्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने 2019 से 2022 के बीच छत्तीसगढ़ की डिस्टिलरियों को नकली होलोग्राम उपलब्ध कराए थे। इन होलोग्राम को अवैध शराब की बोतलों पर चिपकाया जाता था।

यूपी STF की पूछताछ में हुआ था खुलासा

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला केस से जुड़े नकली होलोग्राम मामले में अनवर ढेबर और एपी त्रिपाठी से यूपी STF ने पूछताछ की थी। इसमें खुलासा किया था कि सबसे बड़ी बेनिफिशरी डिस्टलरी कंपनियां (शराब निर्माता कंपनियां) थीं।

दोनों ने अफसरों को यह भी बताया कि, नोएडा स्थित विधु की कंपनी मेसर्स प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड (PHSF) को होलोग्राम बनाने का टेंडर मिला था। उसी से डुप्लीकेट होलोग्राम बनाकर इन तीनों डिस्टलरीज को भेजा जाता था। वहां से अवैध शराब पर इन होलोग्राम को लगाया जाता था।

वहीं यूपी STF ने पहले 2 बार पूछताछ के लिए तीनों डिस्लरीज को लखनऊ बुलाया था, लेकिन तीनों कंपनियों के मालिक पूछताछ में शामिल नहीं हुए थे।

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