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आदिवासी विकास विभाग में 54 लाख फर्जीवाड़ा

बच्चों के लिए सामग्री की खरीदी करने के बजाय पुराने कार्यों का चहेते ठेकेदारों को कर दिया भुगतान

सहायक आयुक्त कल्याण सिंह मसराम ने रिटायरमेंट से ठीक पहले आदिवासी बच्चों के लिए राज्य से प्राप्त बजट में बड़ी सेंध लगाते हुए शासन से प्राप्त 58 लाख रुपयों का नियम विरूद्ध चहेते ठेकेदारों को भुगतान कर दिया। इस राशि से ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने की इतनी जल्दबाजी थी कि उन्होंने उक्त राशि के उपयोग के लिए कलेक्टर से भी अनुमोदन नहीं लिया, जबकि नियमतः यह आवश्यक था। मार्च महीने और अपने रिटायरमेंट को ध्यान में रखते मसराम ने चहेते ठेकेदारों से साठ-गांठ कर इस राशि की बंदरबाट कर ली। वित्त वर्ष 2024-25 में जनवरी 2025 को यह राशि शासन से कोषालय भेजी गई थी। इस बंदरबाट में कोषालय अधिकारी चमन जोशी की भूमिका भी संदिग्ध है। बताया जा रहा कि उन्होंने यह राशि सीधे सहायक आयुक्त के विभागीय खाते में ट्रांसफर कर दी। इस राशि के उपयोग पश्चात बिल विभाग के जरिये कोषालय में जाते, जिसके बाद उनका भुगतान संबंधित फर्म्स को किया जाता लेकिन ऐसा न कर सारी राशि आदिवासी विकास शाखा के विभागीय खाते में दे दी गई। 

 यहां खर्च होनी थी राशि

इस राशि से जिले के आश्रम छात्रावासों में अति आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति की जानी थी, जिनमें भंडार तथा कच्चा माल, गैर कार्यालयीन फर्नीचर और कपड़े-बिस्तर जैसी चीजें शामिल हैं। 58 लाख रुपयों में से एक भी रुपए इन सामानों के लिए खर्च नहीं किए गए बल्कि इससे चहेते ठेकेदारों द्वारा पूर्व में कराए गए कार्यों का भुगतान कर दिया गया।

मद के अनुसार राशि ट्रांसफर की जाती है। कुछ मामलों में सीधे विभाग को पैसा दिया जा सकता है, लेकिन ज्यादातर मामलों में बिल वाउचर के आधार पर फर्म को भुगतान किया जाता है। इस मामले में भी नियमानुसार भुगतान किया गया होगा।

- चमन जोशी, कोषालय अधिकारी

मामले की जानकारी आपके माध्यम से मिल रही है। राशि बच्चों के इस्तेमाल में होने वाली सामग्रियों की खरीदी के लिए थी। यदि इसका व्यय किसी अन्य कार्य में किया गया है तो ये गलत है। सारे मामले की जांच की जाएगी और जांच में जो तथ्य आएंगे, उस आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

- कुणाल दुदावत, कलेक्टर दंतेवाड़ा

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